धूमावती महाविद्या

धूम्रा मतिव सतिव पूर्णात सा सायुग्मे |
सौभाग्यदात्री सदैव करुणामयि: ||
“हे आदि शक्ति धूम्र रूपा माँ धूमावती आप पूर्णता के साथ सुमेधा और सत्य के युग्म मार्ग द्वारा साधक को सौभाग्य का दान करके सर्वदा अपनी असीम करुणा और ममता का परिचय देती हो….आपके श्री चरणों में मेरा नमस्कार है |”

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  जो इनके साधक होतें हैं वे इनके रूप और आकृति रहस्य को समझकर अपनी क्रिया के द्वारा सिद्धि प्राप्त करने में सफल होते हैं. श्वेत मलिन वस्त्र जो परिचायक हैं….सत और तम के महायोग का…एक साथ तंत्र की तीव्रता और जीवन मुक्ति की सौम्यता को समझने का रहस्य. क्या कभी सोचा है की घोर अन्धकार में श्वेत वस्त्र महाविनाश की पराकाष्ठा में भी ममत्व का दिग्दर्शन कराता है. रथ दिग्विजय अर्थात सब्कुसब कुछ जीत लेने का प्रतीक है. कौवा प्रतीक है तंत्र और इतरयोनियों पर आधिपत्य का और साथ ही वो प्रतीक है सूक्ष्म काल दृष्टि और अमृत्व प्राप्ति की क्रिया का. सूर्प प्रतीक है सबकुछ श्रेष्ट की प्राप्ति का.उलझे हुए केश प्रतीक है सहस्त्रार ऊर्जा पर साधक के पूर्ण नियंत्रण का.जीवन की घोरतम अवस्थाओं को अघोर के सामान देखने और जीत लेने की क्रिया का दूसरा नाम ही धूमावती साधना है.

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