हनुभैरव नेपाल देश में पूजित एक तान्त्रिक देवता विशेष है । हनुभैरव भैरव तथा हनुमान का मिश्रित स्वरूप है ,जो की पश्चिमाम्नाय से सम्बंधित देवता है । हनुभैरव का शवारूढ़ होना भैरवागम से संबंध दर्शाता हैं। वस्तुतः हनुभैरव भगवती सिद्धिलक्ष्मी प्रत्यङ्गिरा के भैरव है । हनुभैरव के मंत्रादि सिद्धिलक्ष्मी सम्बन्धी ग्रंथों तथा हनुभैरवपूजाविधि , हनुभैरवस्तोत्र , हनुभैरवकवच , पञ्चमुखीवीरहनुभैरवस्तोत्र इत्यादि में संग्रहित होने के कारण कुछ मात्रा में संरक्षित है अन्यथा हनुभैरव की उपासना सम्बन्धी ग्रन्थ लगभग नष्टप्राय: है इस कारण इस देवता विशेष के बारे में अत्याधिक जानकारी अनुपलब्ध है। नेपाल में हनुभैरव के ३ स्वरूप प्राप्त होते है ।
- (१) एकमुखी त्रिशूलगदाहस्त
- (२) नरारुढ़ एकमुखी चतुरहस्त
- (३) मकरारूढ़ पंचमुखी दशहस्त
एकमुखी स्वरूप रक्तवर्ण , दिव्यवेशभूषा तथा त्रिशूल एवं गदा धारण किये हुए हैं। इस स्वरूप में हनुभैरव बिना किसी वाहन के दर्शाये गए हैं। हनुभैरव वैष्णव पंचमुखी हनुमान का ही शैवशाक्त रूप है। देखा जाए तो हनुभैरव शैव, वैष्णव तथा शाक्तमतों की त्रिवेणीस्वरूप ही हैं। मध्यकाल में हनुमान की उपासना अपने उत्कर्ष पर थी केवल साधक समाज में मध्य में नहीं अपितु जनसामान्य के मध्य भी, यह प्रमाणित है कि हनुमान की उपासना मध्यकालीन शैव ,वैष्णव तथा शाक्त अपने अपने संप्रदायानुसार किया करते थे । सम्भव हैं कि मध्यकालीन तांत्रिको ने पंचमुखीहनुमान से प्रेरित होकर हनुभैरव की उपासना का प्रारम्भ नेपाल में किया होगा अस्तु !!!
ॐ अ॒स्मे रु॒द्रा मे॒हना॒ पर्व॑तासो वृत्र॒हत्ये॒ भर॑हूतौ स॒जोषाः॑ । यः शँस॑ते स्तुव॒ते धायि॑ प॒ज्र इन्द्र॑ज्येष्ठा अ॒स्माँ अ॑वन्तु दे॒वाः ॥