सरलशिवपूजाविधिः

श्रावणमास भगवान शिव को अत्यंत्य प्रियकर हैं , अतः मुमुक्षु तथा भुभुक्षु दोनों प्रकार के साधकों को इस मास में अनिवार्य रूप से शिवपुजन करना चाहिए। वे साधक जो समयाभाव अथवा द्रव्याभाव से विस्तार पूर्वक शिवपूजा नहीं कर सकते तथा जनसामान्य जो निगमागमादि शास्त्रोक्तविधि से शिवपूजा करने में असमर्थ है , उन सभी के सहायतार्थ अत्यन्तस्वल्प शिवपूजा की विधि को लिखा जाता हैं।

साधक अपने सम्मुख नर्मदेश्वर/बाणलिङ्ग /पार्थिव शिवलिङ्ग (तीर्थक्षेत्र की मिट्टीका बना लिंग)/पारदेश्वर (पारद का बना लिंग) अथवा भगवान शिव का चित्रपट भद्रपीठ/बाजौट अथवा पात्र में स्थापित करें । पञ्चाक्षरमन्त्र से भस्म का त्रिपुण्ड तथा रुद्राक्ष मालिका धारणे करें । कुश अथवा कम्बल के आसान को बिछाकर उसका पूजन करें , तत्पश्चात् आसान पर बैठकर तीन बार आचमन तथा प्राणायाम करें । पुनः हाथ में जलगंधपुष्प रखकर देशकालादि का संकीर्तन करते हुए संकल्प वाक्य का पाठ करें ।  तत्पश्चात् शिवासन (जिस भद्रपीठ/बाजौट अथवा पात्र में लिङ्ग स्थापित किया गया हैं।) की पूजा करें । हाथ मे जल, गन्ध, बिल्वपत्र, अर्कपुष्प (आंकडा) लेकर लिङ्ग में भगवान शिव की मूर्ति का पूजन करें। ध्यानश्लोक का पाठ कर भगवान शिव के चैतन्य का आवाहन लिङ्ग में करें।  तत्पश्चात जो भी उपचार उपलब्ध होवें उनसे लिङ्ग में भगवान शिव का पूजन पंचाक्षर मंत्र से करें । द्रव्यों का आभाव होने पर पुष्प, पत्र तथा जल से ही पूजन करें । अगले दो मंत्रो से संक्षेप में भगवान शिव के पांचमुखों तथा छः अंगो के एकावरण का पूजन करें । तत्पश्चात् लिङ्ग की पीठिका (योनि/आधार) में भगवती पार्वती का पूजन करें। तत्पश्चात पुष्पांजलि देकर भगवान का विसर्जन करें ।

त्रिपुण्डधारण । रुद्राक्षमालिकाधारण ।
आसानपूजा ॐ कुर्मासनाय नमः॥
आचमन । प्राणायाम । संकल्प
ॐ अद्य० श्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थं स्वल्पविधानेन शिवपूजामहं
करिष्ये ॥ 
ॐ शिवासनाय नमः॥
ॐ शिवमूर्तये नमः॥
शङ्खकुन्देन्दुधवलं त्रिनेत्रं रुद्ररूपिणम् ।
सदाशिवेन रूपेण वृषारूढं विचिन्तयेत् ॥
चतुर्भुजं महात्मानं शूलाभयसमन्वितम् ।
मातुलुङ्गधरं देवमक्षसूत्रधरं प्रभुम् ॥
ॐ नमः शिवाय आवाहयामी स्थापयामी ॥
ॐ नमः शिवाय ॥
ॐ पञ्चवक्त्रेभ्यो नमः॥
ॐ षडङ्गेभ्यो नमः॥
ॐ नमः शिवायै ॥
ॐ नमः शिवाय उद्वासयामि ॥ 

(𑆯𑆳𑆫𑆢𑆳𑆬𑆴𑆥𑆴 𑆩𑆼𑆁 )
𑆠𑇀𑆫𑆴𑆥𑆶𑆟𑇀𑆝𑆣𑆳𑆫𑆟 𑇅 𑆫𑆶𑆢𑇀𑆫𑆳𑆑𑇀𑆰𑆩𑆳𑆬𑆴𑆑𑆳𑆣𑆳𑆫𑆟 𑇅
𑆄𑆱𑆳𑆤𑆥𑆷𑆘𑆳 𑆏𑆀 𑆑𑆶𑆫𑇀𑆩𑆳𑆱𑆤𑆳𑆪 𑆤𑆩𑆂𑇆
𑆄𑆖𑆩𑆤 𑇅 𑆥𑇀𑆫𑆳𑆟𑆳𑆪𑆳𑆩 𑇅 𑆱𑆁𑆑𑆬𑇀𑆥
𑆏𑆀 𑆃𑆢𑇀𑆪𑇐 𑆯𑇀𑆫𑆵𑆥𑆫𑆩𑆼𑆯𑇀𑆮𑆫𑆥𑇀𑆫𑆵𑆠𑇀𑆪𑆫𑇀𑆡𑆁 𑆱𑇀𑆮𑆬𑇀𑆥𑆮𑆴𑆣𑆳𑆤𑆼𑆤 𑆯𑆴𑆮𑆥𑆷𑆘𑆳𑆩𑆲𑆁
𑆑𑆫𑆴𑆰𑇀𑆪𑆼 𑇆
𑆏𑆀 𑆯𑆴𑆮𑆳𑆱𑆤𑆳𑆪 𑆤𑆩𑆂𑇆
𑆏𑆀 𑆯𑆴𑆮𑆩𑆷𑆫𑇀𑆠𑆪𑆼 𑆤𑆩𑆂𑇆
𑆯𑆕𑇀𑆒𑆑𑆶𑆤𑇀𑆢𑆼𑆤𑇀𑆢𑆶𑆣𑆮𑆬𑆁 𑆠𑇀𑆫𑆴𑆤𑆼𑆠𑇀𑆫𑆁 𑆫𑆶𑆢𑇀𑆫𑆫𑆷𑆥𑆴𑆟𑆩𑇀 𑇅
𑆱𑆢𑆳𑆯𑆴𑆮𑆼𑆤 𑆫𑆷𑆥𑆼𑆟 𑆮𑆸𑆰𑆳𑆫𑆷𑆞𑆁 𑆮𑆴𑆖𑆴𑆤𑇀𑆠𑆪𑆼𑆠𑇀 𑇆
𑆖𑆠𑆶𑆫𑇀𑆨𑆶𑆘𑆁 𑆩𑆲𑆳𑆠𑇀𑆩𑆳𑆤𑆁 𑆯𑆷𑆬𑆳𑆨𑆪𑆱𑆩𑆤𑇀𑆮𑆴𑆠𑆩𑇀 𑇅
𑆩𑆳𑆠𑆶𑆬𑆶𑆕𑇀𑆓𑆣𑆫𑆁 𑆢𑆼𑆮𑆩𑆑𑇀𑆰𑆱𑆷𑆠𑇀𑆫𑆣𑆫𑆁 𑆥𑇀𑆫𑆨𑆶𑆩𑇀 𑇆
𑆏𑆀 𑆤𑆩𑆂 𑆯𑆴𑆮𑆳𑆪 𑆄𑆮𑆳𑆲𑆪𑆳𑆩𑆵 𑆱𑇀𑆡𑆳𑆥𑆪𑆳𑆩𑆵 𑇆
𑆏𑆀 𑆤𑆩𑆂 𑆯𑆴𑆮𑆳𑆪 𑇆
𑆏𑆀 𑆥𑆚𑇀𑆖𑆮𑆑𑇀𑆠𑇀𑆫𑆼𑆨𑇀𑆪𑆾 𑆤𑆩𑆂𑇆
𑆏𑆀 𑆰𑆝𑆕𑇀𑆓𑆼𑆨𑇀𑆪𑆾 𑆤𑆩𑆂𑇆
𑆏𑆀 𑆤𑆩𑆂 𑆯𑆴𑆮𑆳𑆪𑆽 𑇆
𑆏𑆀 𑆤𑆩𑆂 𑆯𑆴𑆮𑆳𑆪 𑆇𑆢𑇀𑆮𑆳𑆱𑆪𑆳𑆩𑆴 𑇆

( বাংলায়)
ত্রিপুণ্ডধারণ । রুদ্রাক্ষমালিকাধারণ ।
আসানপূজা ওঁ কুর্মাসনায় নমঃ॥
আচমন । প্রাণায়াম । সংকল্প
ওঁ অদ্য০ শ্রীপরমেশ্বরপ্রীত্যর্থং স্বল্পবিধানেন শিবপূজামহং
করিষ্যে ॥
ওঁ শিবাসনায় নমঃ॥
ওঁ শিবমূর্তয়ে নমঃ॥
শঙ্খকুন্দেন্দুধবলং ত্রিনেত্রং রুদ্ররূপিণম্ ।
সদাশিবেন রূপেণ বৃষারূঢং বিচিন্তয়েৎ ॥
চতুর্ভুজং মহাত্মানং শূলাভয়সমন্বিতম্ ।
মাতুলুঙ্গধরং দেবমক্ষসূত্রধরং প্রভুম্ ॥
ওঁ নমঃ শিবায় আবাহয়ামী স্থাপয়ামী ॥
ওঁ নমঃ শিবায় ॥
ওঁ পঞ্চবক্ত্রেভ্যো নমঃ॥
ওঁ ষডঙ্গেভ্যো নমঃ॥
ওঁ নমঃ শিবায়ৈ ॥
ওঁ নমঃ শিবায় উদ্বাসয়ামি ॥

( ગુજરાતી લિપિમાં )

ત્રિપુણ્ડધારણ । રુદ્રાક્ષમાલિકાધારણ ।
આસાનપૂજા ૐ કુર્માસનાય નમઃ॥
આચમન । પ્રાણાયામ । સંકલ્પ
ૐ અદ્ય૦ શ્રીપરમેશ્વરપ્રીત્યર્થં સ્વલ્પવિધાનેન શિવપૂજામહં કરિષ્યે ॥
ૐ શિવાસનાય નમઃ॥
ૐ શિવમૂર્તયે નમઃ॥
શઙ્ખકુન્દેન્દુધવલં ત્રિનેત્રં રુદ્રરૂપિણમ્ ।
સદાશિવેન રૂપેણ વૃષારૂઢં વિચિન્તયેત્ ॥
ચતુર્ભુજં મહાત્માનં શૂલાભયસમન્વિતમ્ ।
માતુલુઙ્ગધરં દેવમક્ષસૂત્રધરં પ્રભુમ્ ॥
ૐ નમઃ શિવાય આવાહયામી સ્થાપયામી ॥
ૐ નમઃ શિવાય ॥
ૐ પઞ્ચવક્ત્રેભ્યો નમઃ॥
ૐ ષડઙ્ગેભ્યો નમઃ ॥
ૐ નમઃ શિવાયૈ ॥
ૐ નમઃ શિવાય ઉદ્વાસયામિ ॥

॥ सरलशिवपूजाप्रयोग: ॥

साधक शुद्ध वस्त्र पहनकर शास्त्र विहित आसान पर बैठे । आधारशक्ति कमलासनाय नमः कहकर आसान का पूजन करे । 
शिवाय नमः  इस मंत्र से भस्म के त्रिपुण्ड्र सर ,कण्ठ ,ह्रदय ,दोनों बाहुओं और नाभि पे धारण करे । 
शिवाय नमः इस मंत्र से रुद्राक्ष की माला वा एक रुद्राक्ष या एक से ज्यादा रुद्राक्ष धारण करे ।
शिवाय नमः कहकर  तीन बार आचमन करे । शिवाय नमः कहकर तीन बार प्राणायाम करे । 
शिवाय नमः कहकर शैव पवित्र वा स्मार्त पवित्र वा सोने /चाँदी/ताम्बे की अंगूठी (बिना नग वाली ) ।  फिर शिव पूजा का संकल्प करे ।

निम्न मन्त्र से आवाहन करे । ( अगर प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठित हो तो यहाँ पुष्पांजलि देवे )

शूलपाणये नमः आवाहनं समर्पयामि ॥
निम्न मंत्र से पुष्प वा दर्भ का आसान समर्पित करे । 
पिनाकधृषे नमः आसनं समर्पयामि ॥
निम्न मंत्र से लिंग के उर्ध्वभाग पर  अर्घ्य समर्पित करे । 
भवोद्भवाय नमः अर्घ्यं समर्पयामि ॥ 
निम्न मंत्र से आचमनीय जल  समर्पित करे । 
वामदेवाय नमः आचमनीयं समर्पयामि ॥  
निम्न मन्त्र से मधुपर्क समर्पित करे ।
ज्येष्ठाय नमः मधुपर्कं समर्पयामि ॥ 
निम्न मन्त्र से दुग्ध का स्नान करावे । 
ईश्वराय नमः पय:स्नानं समर्पयामि ॥ 
निम्न मन्त्र से दही का स्नान करावे ।
शिवाय नमः दधिस्नानं समर्पयामि ॥ 
निम्न मन्त्र से घृत का स्नान करावे ।
गिरिशाय नमः घृतस्नानं समर्पयामि ॥
निम्न मन्त्र से मधु(शहद) का स्नान करावे ।
उमाधवाय नमः मधुस्नानं समर्पयामि॥              निम्न मन्त्र से शर्करा का स्नान करावे ।
शिवाय नमः शर्करा स्नानं समर्पयामि ॥
जल से अभिषेक करे ।
महेश्वराय नमः अभिषेकं समर्पयामि ॥
निम्न मन्त्र से दो श्वेत वस्त्र वा दो श्वेतसूत्र वा अक्षत समर्पित करे । 
श्रेष्ठाय नमः वस्त्रं समर्पयामि ॥ 
निम्न मंत्र से यज्ञोपवित (जनेऊ ) समर्पित करे ।
रुद्राय नमः उपवीतं समर्पयामि ॥  निम्न मंत्र से चन्दन समर्पित करे ।
कालाय नमः चन्दनं समर्पयामि ॥ 
निम्न मंत्र से अक्षता समर्पित करे ।
कलविकरणाय नमः अक्षता समर्पयामि ॥  
निम्न मंत्र से आँकड़े (अर्क)तथाधतूरे(,धर्तूर)के ,गेंदे (शतपत्र) ,गुलाब (पाटलपुष्प) इत्यादि के पुष्प समर्पित करे ।
बलविकरणाय नमः पुष्पं समर्पयामि ॥
निम्न मंत्र से बिल्व पत्र सर्मपित करे ।
बलविकरणाय नमः बिल्वपत्रंसमर्पयामि ॥ 
निम्न मंत्र से धुप सर्मपित करे ।
बलाय  नमः धूपं समर्पयामि ॥ 
निम्न मंत्र से घी का ( तैल का निषेध ) दीपक सर्मपित करे ।
बलप्रमथाय नमः दीपं समर्पयामि ॥
निम्न मंत्र से शुद्ध यथाशक्ति नैवेद्य समर्पित करे  ।
सर्वभूतदमनाय नमः नैवेद्यं समर्पयामि ॥ 
निम्न मंत्र से आचमनीय जल समर्पित करे ।
मनोन्मनाय नमः आचमनीयं समर्पयामि ॥
निम्न मंत्र से मध्यपानीय जल समर्पित करे ।
मनोन्मनाय नमः मध्येपानीयं समर्पयामि ॥
निम्न मंत्र से उत्तरापोशनं समर्पित करे ।
मनोन्मनाय नमः उत्तरापोशनं समर्पयामि ॥ 
निम्न मन्त्र से ताम्बूल समर्पित करे । 
शम्भवे नमः ताम्बूलं समर्पयामि ॥ 
शम्भवे नमः दक्षिणां समर्पयामि ॥ 
शङ्कराय नमः फलं समर्पयामि ॥ 

शङ्कराय नमः प्रदक्षिणां समर्पयामि ॥     शङ्कराय नमः उत्तरनीराजनं समर्पयामि ॥भवानीशंकराय नमः मन्त्रपुष्पञ्जलिं  समर्पयामि ॥ शम्भवे नमः नमस्कारान् समर्पयामि ॥        यस्यस्मृति ० ॥